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पुस्तक / दिविक रमेश

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|रचनाकार=दिविक रमेश
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[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
मुझको तो पुस्तक तुम सच्ची
अपनी नानी / दादी लगती
ये दोनों तो अलग शहर में
पर तुम तो घर में ही रहती
मुझको तो पुस्तक तुम सच्ची<br>अपनी जैसे नानी/दुम दुम वालीलम्बी एक कहानी कहतीजैसे चलती अगले भी दिनदादी लगती<br>एक कहानी कहतीये दोनों मेरी पुस्तक भी तो अलग शहर में<br>वैसीपर तुम तो घर में ही रहती<br><br>ढेरों रोज कहानी कहती
जैसे नानी दुम दुम वाली<br>पर मेरी पुस्तक तो भैयालम्बी एक कहानी कहती<br>जैसे चलती अगले पढ़ी-लिखी भी दिन<br>सबसे ज़्यादादादी एक कहानी कहती<br>मेरी पुस्तक जो भी तो वैसी<br>चाहूँ झट बतलातीढेरों रोज कहानी कहती<br><br>नया पुराना ज़्यादा-ज़्यादा
पर मेरी एक पते की बात बताऊँपुस्तक तो भैया<br>पूरा साथ निभातीपढ़ी लिखी भी सबसे ज्यादा<br>जो भी चाहूँ झट बतलाती<br>छूटें अगर अकेले तो यहनया पुराना ज्यादा ज्यादा<br><br>झटपट उसको मार भगाती
एक पते की बात बताऊँ<br>मैं तो कहता हर मौक़े परपुस्तक पूरा साथ निभाती<br>ढेर पुस्तकें हमको मिलतीछूटें अगर अकेले तो यह<br>सच कहता हूँ मेरी ही क्याझटपट उसको मार भगाती<br><br>हर बच्चे की बाँछे खिलती
मैं तो कहता हर मौके पर<br>ढेर पुस्तकें हमको मिलती<br>सच कहता हूँ मेरी ही क्या<br>हर बच्चे की बाँछे खिलती<br><br> नदिया के जल सी ये कोमल<br>पर्वत के पत्थर सी कड़यल<br>चिकने फर्श से ज्यादा चिकनी<br>
खूब खुरदरी जैसे दाढ़ी
</poem>
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