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|रचनाकार=शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
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<Poem>
एक दूजे के अंग लगें तो होली है
सबको लेकर संग चलें तो होली है
बच्चे बूढ़े प्रेम करें तो जायज है
इसी काम को यंग करें तो होली है
</poem>