भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार=हरे प्रकाश उपाध्याय
|संग्रह=खिलाड़ी दोस्त और अन्य कविताएँ / हरे प्रकाश उपाध्याय}}{{KKCatKavita‎}}<poem> '''डरना मत भाई'''
आ रहे हैं मेहमान
लीपना होगा घर-आँगन
बुहारना होगा गलियों को
सिर्फ़ बुहार दे आवारा पत्ते
हटा दे महकती मिट्टी और सड़ते खर
इतने से ख़त्म नहीं हो पाएगी बदबू
बेवजह बेवज़ह जल रही आग को बुझाना होगा इन दीवारों पर जो धब्बे जड़ गये गए हैं उनका क्या होगा , सोचो भाई आदमी के खून ख़ून से रँगे किवाड़ों की सोचो
कैसे छुपाएँगे उन्हें
कई बार रगड़नी पड़ेगी सफेदी जमीन ज़मीन को गोबर से लीपना होगा
अस्त-व्यस्त चीज़ों को सहेजकर
ठीक-ठाक रखना होगा!
रास्ते में जो झाड़-झंखाड हैं
जंगल और पहाड़ हैं
उन्हें तोडना तोड़ना होगा काटना होगा। रास्ते में साँपो की बाँबियाँ मिल सकती हैं
डरना नहीं भाई
सुनाई दे सकती है उरनकी फु़ँफकार
ऐसे में सीधे नहीं, उनके मुँह पर फेंकना कपड़ा
और तब उठाना लाठी
सीधे लड़ने के दिन गयेगए
मेहमान आ रहे हैं
स्मृतियाँ ओर घर की सारी चीज़े जगह पर
होनी चाहिए और ठीक-ठाक।......
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits