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उदास / हरीश करमचंदाणी

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नया पृष्ठ: <poem>इस तरह तो मत होना उदास कि मैं पस्त हो जाऊं और सोच ही नहीं सकूं कु…
<poem>इस तरह तो मत होना उदास
कि मैं पस्त हो जाऊं
और सोच ही नहीं सकूं
कुछ भी अच्छा और आशा से भरा

इस तरह तो मत होना उदास
कि हंस ही न सके इस बार
जिस बात पर दुहरे हुए थे
हंसी के मारे पिछली बार

मत होना
मत होना
मत होना उदास
कि उदासी बुरी होती है
उस चेहरे पर तो बहुत
जिसने दुःख से लड़ी हो लडाई
हंसते हंसते . </poem>
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