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नया पृष्ठ: <poem>चिड़िया को नहीं मालूम कितना मीठा गाती है मोगरा भी हैं बेखबर अपन…
<poem>चिड़िया को नहीं मालूम कितना मीठा गाती है
मोगरा भी हैं बेखबर अपनी महक से
और हवा जो बहती रहती हरदम
नहीं पता उसे कितनी जरुरी हैं वह
और आदमी जो जानता इतना इतना
अनजान होना हमेशा बुरा तो नहीं होता </poem>
मोगरा भी हैं बेखबर अपनी महक से
और हवा जो बहती रहती हरदम
नहीं पता उसे कितनी जरुरी हैं वह
और आदमी जो जानता इतना इतना
अनजान होना हमेशा बुरा तो नहीं होता </poem>