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|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
}}
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किसी सराय की तरह है जिंदगी मेरी
लोग आते हैं रहते हैं चले जाते हैं
डेढ़ साल तक तेरा ठहरना हुआ
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किसी सराय की तरह है जिंदगी मेरी
लोग आते हैं रहते हैं चले जाते हैं
डेढ़ साल तक तेरा ठहरना हुआ
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