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<poem>
'''आश्वासन का लम्बा घूँट'''
बैठो अभी
अभी बस साहब आने वाले हैं ।
तब तक लिखवालो लिखवा लो तुम अपनी
मन-माफ़िक अर्ज़ी
लिखवाना कुछ सच का किस्सा
आश्वासन का
लम्बा घूँट पिलाने वाले है हैं
बैठो अभी
अभी बस साहब आने वाले हैं
मेरी चिन्ता मन मत करना बस
चाय-पान काफ़ी
चाहोगे तो करवा दूँगा
और दाँत
खाने के और दिखाने वाले है हैं
बैठो अभी
अभी बस साहब आने वाले हैं ।
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