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Kavita Kosh से
पंख कटे पंछी निकले हैं
भरने आज उडानें
कागज क कk यानों पर चढकर
नील गगन को पाने
टूटी पतवारो से निकले
नौका पार लगाने
पंख कटे पंछी निकले हैं
भरने आज उडानें
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