भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[category: ग़ज़ल]]
<poem>
सो गए जो उम्र भर हसरत लिये बरसात की!
आज भाती हो न उसको तेरी पंखडियाँपंखड़ियाँ, गुलाब!कल मचेगी धूम दुनिया भर में इस सौगात सौग़ात की
<poem>
2,913
edits