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Kavita Kosh से
काम की बातें फिर कर लेंगें, आज तो हों बेकाम की बातें
जिसने गुलाब में कांटें चुभाये, उसने बड़ा अहसान एहसान किया है
कौन नहीं तो प्यार में करता, मेरी तरह गुमनाम की बातें!
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