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अपरिचित शब्दों की
एक अनाम दुनिया
जहां नागपफनी नागफ़नी के कांटेदार जंगल में
कभी-कभी रसवंती के बेर उग आते हैं
कभी बेर को पाने की हवस में
गजरों से भी चोट लगती है
चोट की मुस्कुराहट का
अन्दाज अन्दाज़ यहां अनोखा था
पेशानी पर मकड़जाल नहीं
लटों की लंपटता जारी थी