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हरदम तेरी निगाह मेरे साथ रही है
मंजिल मंज़िल हज़ार बार बगल से निकल गयी
जाने ये कैसी राह मेरे साथ रही है!
ग़म की घटा सियाह मेरे साथ रही है
डरते जो आँधियों से वे मांझी माँझी थे और ही लिपटी किसी की बांह बाँह मेरे साथ रही है
यों तो हरेक अदा में तेरी हैं खिले गुलाब
एक बेबसी की आह मेरे साथ रही है
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