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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
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<poem>
प्यार की राह में रोने से तो बाज़ आयें हम
पर ये मुमकिन नहीं आँखें भी न भर लायें हम
 
बाग़ में चारों तरफ मौत का सन्नाटा है
गंध पहले-सी गुलाबों की कहाँ पायें हम!
 
और होंगे तेरी महफ़िल में तड़पनेवाले
तू निगाहें भी फिरा ले तो चले जायें हम
 
इस सफ़र की कोई मंज़िल तो नहीं है, लेकिन
यह तो बतला कि कहाँ राह में सुस्तायें हम
 
आज की रात तो हर रंग में खिलते हैं गुलाब
फ़िक्र कल की किसे, आयें कि नहीं आयें हम
<poem>
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