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Kavita Kosh से
जो पूछ भी लेते तुम उड़ती हुई नज़रों से
क्यों रूठ के रूठके यों कोई दुनिया से गया होता
इन शोख़ अदाओं का सब खेल हमीं से हमींसे है
होते न अगर हम तो क्या इनका हुआ होता!