भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
तुमने नज़रें तो फेर लीं हमसे
दिल से मुश्किल था है पर भुला देना
आख़िरी वक़्त देख तो लें गुलाब
रुख़ से परदा ज़रा हटा देना
<poem>