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Kavita Kosh से
यह शहर का शहर ही लूटा हुआ लगता है आज
तुझसे आती है किसी जूड़े की ख़ुशबू तो ख़ुशबू, गुलाब!
हाथ से दामन मगर छूटा हुआ लगता है आज
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