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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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[[category: ग़ज़ल]]
<poem>

राह हमको लिये जाती है कहाँ, कौन कहे!
फिर कभी लौटके आयेंगे यहाँ, कौन कहे!

आज तो धुन है पहुँचने की उनके पास, मगर
चैन सचमुच कभी पायेंगे वहाँ, कौन कहे!

क्या दिखी है कोई नेमत बड़ी इस दिल से भी
हमको यों छोड़के जाते हो जहाँ, कौन कहे!

डबडबा आयीं न हो सुनते ही आँखें उनकी
ज़िक्र जब भी मेरा आया है वहाँ, कौन कहे!

है वही बाग़, वही तुम हो, वही हम हैं गुलाब
उड़ गया प्यार का वह रंग कहाँ, कौन कहे!
<poem>
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