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Kavita Kosh से
भुला पाता नहीं मैं पोंछना काजल पलक पर से
लटें आवारा उस रुख रुख़ से हटानी, याद आती है
कभी गाने को कहते ही, लजा कर सर झुका लेना
गुलाब! अब भी किसीकी आनाकानी याद आती है
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