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Kavita Kosh से
यों तो ख़ुशी के दौर भी होते है कम नहीं
ऐसा है कौन, दिल में , मगर , जिसके ग़म नहीं!
हम हैं कि जी रहे हैं हरेक झूठ को सच मान
कितना भी लोग प्यार से देखें गुलाब को
अब अपनी रंगों-बू का है उसको भरम नहीं
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