भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
यों तो ख़ुशी के दौर भी होते है कम नहीं
ऐसा है कौन, दिल में, मगर, जिसके ग़म नहीं!
हम हैं कि जी रहे हैं हरेक झूठ को सच मान
2,913
edits