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Kavita Kosh से
विषाद को, प्रमाद को, भले न रोक हो वहाँ
मनुष्य के रचे नहीं, परन्तु शोक हो हों वहाँ
समस्त सद्-प्रवृत्तियाँ, समस्त सद्-विचार ले