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मैं तिल-तिल मिटकर हो जाऊँ तम में विलीन
हा! क्रूर लेखनी रोको!
 
यह मुझे देखता कौन वृद्ध तापस सरोष
जैसे कर बैठी मैं कोई गम्भीर दोष?
इस महायंत्र को कब जाने किसने उमेठ
धर दिया शून्य-सागर में?
 
'एकोऽहम् बहुस्याम' कब किसने मन्त्र बोल
नीरव अनंत में दिए कल्प दृग-कमल-खोल
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