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जय हो / गुलाब खंडेलवाल

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जय हो
दुःख दुख पर सुख, तम पर प्रकाश की
जड़ता पर गति की, विकास की
मरण-त्रास पर मनुज-श्वास की
आग्निअग्नि-शिखा अक्षय हो
निज पर पर, नर पर नरत्व की
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