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हम उन सवालों को लेकर उदास कितने थे
जवाब जिनके यहीं आसपास कितने थे
हमें ही फ़िक्र थी अपनी शिनाख्त की 'अखिलेश'
नहीं तो चहरे जमाने के पास कितने थे
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