भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
ज़मीन और मुक़द्दर की एक है फितरत
के जो भी बोया वाही वो ही हुबहू निकलता है
ये चाँद रात ही दीदार का वसीला है
38
edits