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{{KKRachna
|रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य
|संग्रह=
}}<poem>साधू ने भरथरी को
दिया वह फल—
अमर होने का
भरथरी ने रानी को
दे दिया
रानी ने प्रेमी को अपने
प्रेमी ने गणिका को
और गणिका ने लौटा दिया
फिर भरथरी को वह
---भरथरी को वैराग्य हो
आया
वह नहीं समझ पाया:
हर कोई चाहता है
अमर करना
प्रेम को अपने.</poem>
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|रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य
|संग्रह=
}}<poem>साधू ने भरथरी को
दिया वह फल—
अमर होने का
भरथरी ने रानी को
दे दिया
रानी ने प्रेमी को अपने
प्रेमी ने गणिका को
और गणिका ने लौटा दिया
फिर भरथरी को वह
---भरथरी को वैराग्य हो
आया
वह नहीं समझ पाया:
हर कोई चाहता है
अमर करना
प्रेम को अपने.</poem>