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सुख देने वाले होतें हैं .
भराए भर्राए गले
गालों तक
लुढ़क आए
आंसुओं आँसुओं को समेटते वें बोलीं--
रिश्तों ने
समाज - सम्मुख
बलात्कार कर
नंगे बदन
गाँव में घुमाया था.
माँ ने टांगे टाँगे पकड़
बच्चा गिरवाया था
दूसरे कबीले
औरतों के
अधिकारों का तमाशा बना
पुरूषपुरुष
उसे अपने
उस साम्राज्य में