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नव वर्ष / अवनीश सिंह चौहान

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|रचनाकार=अवनीश सिंह चौहान
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चालक- पथ की
जीवन रथ की
लेकर नव भाषाएं
आया है
नव वर्ष हमारा
जागीं सब आशाएं

नये रंगों से
रंगी ज़िन्दगी
रंगोली-सी सोहे
सात सुरों से
सजा केशियो
जैसे तन-मन मोहे

चलो समय का
पहिया घूमा
बदलीं परिभाषाएं!

फूल-फूल में
प्रेम बढ़ेगा
महकेगी फुलवारी
धूप-चांदनी,
बरखे बरखा
लहकेगी हर क्यारी

झोली में
सबके फल होंगे-
पूरी अभिलाषाएं!
</poem>
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