भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उस पार / गोपाल सिंह नेपाली

3 bytes added, 19:46, 12 अगस्त 2011
तप रही धरा यह प्यासी भी होगी
फिर चारों ओर उदासी भी होगी
प्यासे जग ने माँगा होगा पनीपानी
करता होगा सावन आनाकानी
उस ओर कहीं छाए होंगे बादल
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,165
edits