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सदस्य:Gopal krishna bhatt 'Aakul'

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नया पृष्ठ: मुक्‍तक 1 वक्‍़त के घावों को वक्‍़त ही मरहम लगायेगा। वक्‍़त ही अप…
मुक्‍तक

1
वक्‍़त के घावों को वक्‍़त ही मरहम लगायेगा।
वक्‍़त ही अपने परायों की पहचान करायेगा।
वक्‍़त की हर शै का चश्‍मदीद है आईना,
पीछे मुड़ के देखा तो वक्‍़त नि‍कल जायेगा।
2
मुझे हर ग़ज़ल मज्‍़मूअ: दीवान लगता है।
हर सफ़्हा क़ि‍ताबों का कुरान लगता है।
सुना है हर मुल्‍क़ में बसे हैं हि‍न्‍दुस्‍तानी,
मुझे सारा संसार हि‍न्‍दुस्‍तान लगता है।