भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बलिदान चाहिए / रमा द्विवेदी

1 byte removed, 17:18, 12 अक्टूबर 2008
इंसानियत विलख रही इंसान ही के खातिर,<br>
इंसाफ दे सके जो ऎसा ऐसा सत्यवान चाहिए.....<br>
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
बचपन यहां पे देखो बन्धुआ बना हुआ है,<br>
दिला सके जो इनको मुक्ति ऎसा ऐसा दयावान चाहिए....<br>
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
मुखौटों के पीछे क्या है कोई जानता नहीं है,<br>
दिखा सके जो असली चेहरा ऎसा ऐसा महान चाहिए....<br>
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
रोज़ रोज मर रहे हैं यहां कुर्सी के वास्ते,<br>जो देश के लिए जिए-मरे,ऎसा ऐसा इक नाम चाहिए....<br>
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
सदियों के बाद भी जो इंसां न बन सकी है,<br>
समझ सके जो इनको इंसान,ऎसा ऐसा कद्र्दान चाहिए...<br>
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
मेहनत से नाता टूटा सब यूंही यूं ही पाना चाहें,<br>
गीतोपदेश वाला कोई श्याम चाहिए...<br>
मेरे देश को भगवान नहीं सच्चा इंसान चाहिए।<br>
Anonymous user