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Kavita Kosh से
मुकद्दर इससे बढ कर तू, हमें क्या दे भी सकता है
खुदा का जिक्र आते ही, तेरा चेहरा नजर नज़र आए
मैं सोते-जागते हरदम खुदा से यह दुआ माँगू