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Kavita Kosh से
माँए हैं ममता से गाफिल, बाप अपनी चाहतों से
कल जो मुमकिन ही नही नहीं थी, आज है वो बात मुमकिन
सोच में रह जाए केवल, याद घर का साजो-सामाँ