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सदस्य:रवीन्द्र प्रभात

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रवी भात क रचनाएँ इनका जम जन्म 05 अैल अप्रैल 1969 को महंदवारा महींदवारा गाँव, सीतामढ़ सीतामढ़ी जनपद बहार बिहार के एक मयमवगय परवार म मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ । इनका मूल नाम रवी रवीन्द्र कुमार चौबे है । इनक आरंिभक िशा सीतामढ़ म इनकी आरंभिक शिक्षा सीतामढ़ी में हुई। बाद म इहने बहार ववालय में इन्होंने बिहार विश्वविद्यालय से भूगोल वषय विषय के साथ ववालयी िशा हण क। विश्वविद्यालयी शिक्षा ग्रहण की। बचपन म दोत में दोस्तों के बीच शेरो-शायर शायरी के साथ-साथ तुकबंद तुकबंदी करने का शौक था .इंटर क परा की परीक्षा के दौरान हद वषय क पूर तैयार नहं हिन्दी विषय की पूरी तैयारी नहीं थी, उीण उत्तीर्ण होना अिनवाय अनिवार्य था . इसिलए इसलिए मरता या नहं क्या नहीं करता .सोचा क्यों न अपनी तुकवंद तुकवंदी के हुनर को आजमा िलया लिया जाए . फर या फिर क्या था आँख आँखें बंद कर ईर ईश्वर को याद कया किया और राकव दनकरराष्ट्रकवि दिनकर, पत आद कवय क पन्त आदि कवियों की याद आधी-अधूर कवताओं म अधूरी कविताओं में अपनी तुकवंद िमलाते तुकवंदी मिलाते हुए सारे प्रश्नों के उर उत्तर दे दए दिए . जब परणाम परिणाम आया तो अय अन्य सारे वषय विषयों से यादा ज्यादा अंक हद म ा हिन्दी में प्राप्त हुए थे . फर या फिर क्या था, हद हिन्दी के ित प्रति अनुराग बढ़ता गया और धीरे-धीरे यह अनुराग कवकवि-कम म परवितत कर्म में परिवर्तित होता चला गया ....  जीवन और जीवका जीविका के बीच तारतय थापत तारतम्य स्थापित करने के म म इहोने अयापन क्रम में इन्होने अध्यापन का काय कार्य भी कयाकिया, पकारता पत्रकारिता भी की, वमान म वर्त्तमान में ये एक बड़े यावसाियक व्यावसायिक समूह म अयवसाियक में अव्यवसायिक पद पर कायरत ह। कार्यरत हैं। आजकल लखनऊ म ह। में हैं। लखनऊ जो नज़ाकत, नफ़ासत,तहज़ीव और तमून तमद्दून का जीवंत शहर है, अछा अच्छा लगता है इह इन्हें इस शहर के आगोश में शाम गुज़ारते हुए ग़ज़ल कहना, कवताएँ िलखनाकविताएँ लिखना, नम नज़्म गुनगुनाना या फर कसी फिर किसी उदास चेहरे को हँसाना ......  .....विभन ितत पविभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पकाओं म काशन पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ-साथ वषवर्ष-1991 में 'हमसफ़र'(ग़ज़ल संहसंग्रह), 1995 में 'समकालीन नेपाली साहयसाहित्य'( संपादतसंपादित), 1999 में 'मत रोना रमज़ानी चाचा' (ग़ज़ल संहसंग्रह) कािशत। wअिनयतकालीन प्रकाशित। अनियतकालीन 'उवजाउर्विजा' और 'फागुनाहट' का संपादन। हंद मािसक हिंदी मासिक 'संवाद' तथा 'साहयांजिलसाहित्यांजलि' का वशेष विशेष संपादन। 'वाकराड्वाकरा' की टेली डयूमटर फ़म डक्यूमेंटरी फ़िल्म 'नया वहानविहान' के पटकथा लेखक. लगभग दो दज़न दर्ज़न सहयोगी संकालन म संकालनों में रचनाएँ संकािलत। वष संकालित। वर्ष 2002 म मृित में स्मृति शेष ( काय संहकाव्य संग्रह) कयप काशन कथ्यरूप प्रकाशन इलाहाबाद ारा कािशत। इहोने द्वारा प्रकाशित। इन्होने लगभग सभी साहयक वधाओं म साहित्यिक विधाओं में लेखन कया किया है परंतु यंयव्यंग्य, कवता कविता और ग़ज़ल लेखन म मुख उपलधयाँ ह। इनक में प्रमुख उपलब्धियाँ हैं। इनकी रचनाएँ भारत तथा वदेश विदेश से कािशत प्रकाशित लगभग सभी मुख हद पप्रमुख हिन्दी पत्र-पकाओं म कािशत पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक ह चुकी हैं तथा इनक कवताएँ चिचत काय संकलन म संकिलत क इनकी कविताएँ चर्चित काव्य संकलनों में संकलित की गई ह। हैं। इनके दो उपयास मश उपन्यास क्रमश : 'ेम प्रेम हाटवक़ाएहाट विक़ाए' तथा 'समय का पहया पहिया चले रे साथी' काशानाधीन ह। प्रकाशानाधीन हैं।  '''इनके मुख लॉग प्रमुख ब्लॉग है '''<br />http://parikalpnaa.blogspot.com/ परकपनाऔर परिकल्पनाऔर <br />http://anamolshabd.blogspot.com/ शद शद शब्द शब्द अनमोल संपक  '''संपर्क''' ravindra.prabhat@gmail.ccom
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