भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
परम आदरणीय भाई अशोक शुक्ल जी!
आपके उत्साह और जोश को भी प्रणाम करते हुए मेरा मात्र यही अनुरोध है कि कविता कोश को कूड़ा न बनाएँ। कृपया जो भी पन्ना जोड़ें,उस पर वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ ज़रूर देख लें। अगर बड़ी संख्या में वर्तनी की अशुद्धियाँ रहेंगी तो पढ़ने का मज़ा जाता रहेगा।
सविनय
--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] 06:16, 16 सितम्बर 2011 (UTC)