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बरहन-ए-पाई वही रहेगी, मगर नया ख़ारज़ार होगा ।
सुना दिया गोश-ए-मुन्तज़िर </ref>सुनने की प्रतीक्षा</ref> को हिजाज़<ref>अरब का प्रांत जहाँ मक्का और मदीना हैं </ref> का ख़ामोशी ने आखिर
जो अहद सहराइओं से बाँधा गया था फिर उस्तवार<ref>ठोस, मजबूत </ref> होगा ।
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