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Kavita Kosh से
हमारी तरफ़ से न कोई कमी है
वही दर्दे गम ग़म है न पीछा ही छोडाछोड़ा
खुशी से भी गम को न राहत मिली है
वहीं पानी भरना यूं खड्डो का बनना
करामात उसकी निजामत भी उसकी