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'''संक्षिप्त परिचय'''
'''नाम ''' : मौलाना हारून ‘अना’ क़ासमी '''जन्म ''' : 28 फरवरी 1966'''जन्म स्थान : ''' : छतरपुर (म.प्र.)'''पिता का नाम ''':: हाजी मुहम्मद जमील निज़ामी'''माता का नाम ''' : मरियम खातून'''शिक्षा ''' : नदवतुल-उलमा, लखनऊ से आलिमियत का कोर्स, दारूल-उलूम देवबन्द से फ़ज़ीलत की डिग्री 1989 में '''लेखन विधाएं ''' : ग़ज़ल एवं नज़्म'''उपलब्धियां ''' : ग़ज़ल संग्रह ‘हवाओं के साज़ पर अयन प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित
: देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित ।
कई बड़े मंचों पर रचनापाठ
'''सम्मान ''' : नगरपालिका छतरपुर के ज़रिये श्रेष्ठ शायर सम्मान,'''सम्पर्क ''' : हेल्प लाइन कम्प्यूटर सेल्स,
आकाशवाणी तिराहा, छतरपुर (म.प्र.) पिन-471001
'''मोबाइल नम्बर - 9826506125''''''-:संस्तुतिः-'''(डॉ. बशीर बद्र द्वारा ‘हवाओं के साज़ पर’ किताब से) मौलाना हारून अना क़ासमी ऐसे नौजवान ग़ज़ल के शायर हैं जिनके फिक्रोफ़न में इनकी सच्ची रियाज़त वसीअ मुतालआ शायराना सदाकत है । इनके अच्छे शेरों में ग़ज़ल की सदियों की परम्पराएं अपने ज़माने से बड़े प्यार
से गले मिल रही हैं । इन रिवायतों में नया लबो-लहज़ा इनकी अपनी पहचान बनाने में पूरी तरह कामयाब हो रहा है । इनके कुछ अच्छे शेर सुब्ह की धूप में
मुस्कुराते फूलों की तरह उजले उजले हैं ।
""""'''डॉ. बशीर बद्र'''""""
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