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|रचनाकार=गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
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'आकुल' या संसार में, एक ही नाम है माँ।
अनुपम है संसार के, हर प्राणी की माँ।।1।।
माँ से नेह ना छोड़ियो, कैसो ही हो दौर।।6।।
'आकुलआकुल' नियरे राखिये, जननी जनक सदैव।
ज्यौं तुलसी कौ पेड़ है, घर में श्री सुखदेव।।7।।
तू सृष्टि की अधिष्ठात्री देवी माँ तू धन्य।
फिरे न बुद्धि आकुल की, दे आशीष अनन्य।।12।।
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