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Kavita Kosh से
मेघ का, मल्हार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो---यह प्यार का मौसम ठहर जाए।जाए ।
जल रहा मन आज
सुधियों के अंगारों में,
दर्द कुछ हल्कार हल्का हुआ है
इन फुहारों में,
रुप का, अभिसार का
मौसम ठहर जाए।जाए ।कुछ करो---यह प्यार का मौसम ठहर जाए।जाए ।
बादलों की गंध में
जीत का, यह हार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो--यह प्यारर प्यार का मौसम ठहर जाए।जाए ।
तुम सुनाओं सुनाओ ग़ज़ल कोई
गीत हम गाऍं,
कहीं फिर दूर हो जाऍं,
मान का, मनुहार का
मौसम ठहर जाए,
कुछ करो---यह प्यार का मौसम ठहर जाए। जाए ।
<Poem>