भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
''फ़स्‍ले बहार'' आने की सूरते हाल देता है
ज़मीं से जुड़ने का सबक़ सीखो दरख्‍़त से
रि‍श्‍तों को एक इक ''मक़ाम'' एक इक ''ज़लाल'' देता है
इंसान बस इतना करे तो है क़ाफ़ी
इक ''क़लम'' जमीं पे गर पाल देता है