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हिचकी / विमलेश त्रिपाठी

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लोग जिनकी ओट में सदियों से रहते आए थे
कि जिन्हें अपना होना कहते थे
उन्हीं के खिलापफ ख़िलाफ़ रचा मैंने अपना इतिहास
जो मेरी नज़र में मनुष्यता का इतिहास था
और मुझे बनाता था उनसे अधिक मनुष्य
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