भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <Poem> उ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<Poem>
उस हुस्ने मुजस्सिम से पहचान हो न जाये
ये जिंदगी किसी पर क़ुर्बान हो न जाये
लिल्लाह न उठायें चेहरे से आप पर्दा
इस दिल में कहीं पैदा अरमान हो न जाये
पाँव के आबलों को मरहम न दीजियेगा
मंज़िल कि लज्ज़तों को नुकसान हो न जाये
मै आपकी हकीक़त तहरीर कर रहा हूँ
मेरी तबाहियों का ऐलान हो न जाये
ऐ बुलबुलों ख़ुदारा, नफरत से बाज़ आओ
ये गुलसितां तुम्हारा वीरान हो न जाये
अल्लाह रे 'मनु' अब कुर्बत किसी हसीं से
रुसवाइयों का तेरी सामान हो न जाये</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=मनु भारद्वाज
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<Poem>
उस हुस्ने मुजस्सिम से पहचान हो न जाये
ये जिंदगी किसी पर क़ुर्बान हो न जाये
लिल्लाह न उठायें चेहरे से आप पर्दा
इस दिल में कहीं पैदा अरमान हो न जाये
पाँव के आबलों को मरहम न दीजियेगा
मंज़िल कि लज्ज़तों को नुकसान हो न जाये
मै आपकी हकीक़त तहरीर कर रहा हूँ
मेरी तबाहियों का ऐलान हो न जाये
ऐ बुलबुलों ख़ुदारा, नफरत से बाज़ आओ
ये गुलसितां तुम्हारा वीरान हो न जाये
अल्लाह रे 'मनु' अब कुर्बत किसी हसीं से
रुसवाइयों का तेरी सामान हो न जाये</poem>