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{{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=रमा द्विवेदी }}
१- मंड़प बैठी,<br> सरसों गदराई<br> धरा सिमटी। <br><br> २- लिपटी कहीं,<br> महकी कहीं और,<br> रोया था पेड़ । <br><br> ३- झूठे वचन,<br> अर्चनाएं बेकार,<br> मन में यार।<br> <br> ४- नशा प्यार का,<br> ममत्व का हनन,<br> बच्चे अनाथ। <br><br> ५- प्रेयसी हंसी,<br> गुलमोहर लाल,<br> पत्नी उदास । <br><br> ६- अकेलापन,<br> संवेदनाएं बर्फ,<br> तपस्या भंग | <br><br>
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