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{{KKRachna
|रचनाकार=रघुवीर सहाय
|संग्रह=सीढ़ियों पर धूप में / रघुवीर सहाय
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आज फिर शुरू हुआ जीवन
आज फिर शुरू हुआ जीवन<br><br>मैंने एक छोटी-सी सरल-सी कविता पढ़ीआज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा
जी भर आज मैंने एक छोटी-सी सरल-सी कविता पढ़ी<br>आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा<br><br>शीतल जल से स्नान किया