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{{KKRachna
|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
{{KKCatRajasthan}}<poem>
घनश्याम हमारी आंखों में, हम आंखें में घनश्याम के हैं।
सरकार हमारे हो तुम तो, हम दास बने बिन दाम के हैं।।