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जाड़ा / ज्यून तकामी

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{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=ज्यून तकामी
|संग्रह=पहाड़ पर चढ़ना चाहते हैं सब / ज्यून तकामी
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[[Category:जापानी भाषा]]
<poem>
जाड़े की ठंड
 
इतनी भयानक होती है कि
 
कि जम जाते हैं हाथ कभी
 
तो कभी पैर पाला खाते हैं
 
और उदासी
 
भेदती चली जाती है हमेशा
दिल को गहराई तक
दिल को गहराई तक'''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''</poem>
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