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सन्नाटा / श्रीकांत वर्मा

No change in size, 17:12, 12 जनवरी 2012
अंगुली पकड़े
सूने कोसों पर चलता है।
बंसवट बँसवट से देता हाँक
कभी मृगजल बन
सबको छलता है।
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