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Kavita Kosh से
{{KKCatGhazal}}
<Poem>
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद <ref>भीगी हुई आँख </ref> आया
दिल जिगर तश्ना-ए-फ़रियाद आया
दम लिया था न क़यामत ने हनोज़<ref>अभी</ref>
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया