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Kavita Kosh से
एक दिल देके ख़ुदा ने दे दिया क्या क्या मुझे|
है हुसूल-ए-आरज़ू <ref>इच्छा-पूर्ति </ref> का राज़ <ref>रहस्य </ref> तर्क-ए-आरज़ू<ref>इच्छा का त्याग</ref>,
मैंने दुनिया छोड़ दी तो मिल गई दुनिया मुझे|
कह के सोया हूँ ये अपने इज़्तराब-ए-शौक़ से,
देखती की देखती रह जाएगी दुनिया मुझे|
</poem>
{{KKMeaning}}